Deutsch 42-Lukas 017(Schl2000)

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Listen

1

Lukas 17,1

Er sprach aber zu den Jüngern: Es ist unvermeidlich, dass Anstöße [zur Sünde] kommen; wehe aber dem, durch welchen sie kommen!

-- sprach ---- -- den --------- -- ist -------------- ---- Anstöße ---- ------- kommen; ---- ---- dem, ----- ------- sie -------

-- ------ aber -- --- --------- -- ist -------------- ---- --------- ---- Sünde] ------- ---- ---- ---- durch ------- --- -------

Lukas 17,1


2

Lukas 17,2

Es wäre für ihn besser, wenn ein großer Mühlstein um seinen Hals gelegt und er ins Meer geworfen würde, als dass er einem dieser Kleinen einen Anstoß [zur Sünde] gibt.

-- wäre ---- --- besser, ---- --- großer ---------- -- seinen ---- ------ und -- --- Meer -------- ------- als ---- -- einem ------ ------- einen ------- ---- Sünde] -----

-- ----- für --- ------- ---- --- großer ---------- -- ------ ---- gelegt --- -- --- ---- geworfen ------- --- ---- -- einem ------ ------- ----- ------- [zur ------- -----

Lukas 17,2


3

Lukas 17,3

Habt Acht auf euch selbst! Wenn aber dein Bruder gegen dich sündigt, so weise ihn zurecht; und wenn es ihn reut, so vergib ihm.

---- Acht --- ---- selbst! ---- ---- dein ------ ----- dich --------- -- weise --- -------- und ---- -- ihn ----- -- vergib ----

---- ---- auf ---- ------- ---- ---- dein ------ ----- ---- --------- so ----- --- -------- --- wenn -- --- ----- -- vergib ----

Lukas 17,3


4

Lukas 17,4

Und wenn er siebenmal am Tag gegen dich sündigte und siebenmal am Tag wieder zu dir käme und spräche: Es reut mich!, so sollst du ihm vergeben.

--- wenn -- --------- am --- ----- dich --------- --- siebenmal -- --- wieder -- --- käme --- --------- Es ---- ------ so ------ -- ihm ---------

--- ---- er --------- -- --- ----- dich --------- --- --------- -- Tag ------ -- --- ----- und --------- -- ---- ------ so ------ -- --- ---------

Lukas 17,4


5

Lukas 17,5

Und die Apostel sprachen zum Herrn: Mehre uns den Glauben!

--- die ------- -------- zum ------ ----- uns --- --------

--- --- Apostel -------- --- ------ ----- uns --- --------

Lukas 17,5


6

Lukas 17,6

Der Herr aber sprach: Wenn ihr Glauben hättet wie ein Senfkorn, so würdet ihr zu diesem Maulbeerbaum sagen: Entwurzle dich und verpflanze dich ins Meer!, und er würde euch gehorchen.

--- Herr ---- ------- Wenn --- ------- hättet --- --- Senfkorn, -- ------- ihr -- ------ Maulbeerbaum ------ --------- dich --- ---------- dich --- ------ und -- ------ euch ----------

--- ---- aber ------- ---- --- ------- hättet --- --- --------- -- würdet --- -- ------ ------------ sagen: --------- ---- --- ---------- dich --- ------ --- -- würde ---- ----------

Lukas 17,6


7

Lukas 17,7

Wer aber von euch wird zu seinem Knecht, der pflügt oder weidet, wenn er vom Feld heimkommt, sogleich sagen: Komm her und setze dich zu Tisch?

--- aber --- ---- wird -- ------ Knecht, --- ------- oder ------- ---- er --- ---- heimkommt, -------- ------ Komm --- --- setze ---- -- Tisch?

--- ---- von ---- ---- -- ------ Knecht, --- ------- ---- ------- wenn -- --- ---- ---------- sogleich ------ ---- --- --- setze ---- -- ------

Lukas 17,7


8

Lukas 17,8

Wird er nicht vielmehr zu ihm sagen: Bereite mir das Abendbrot, schürze dich und diene mir, bis ich gegessen und getrunken habe, und danach sollst du essen und trinken?

---- er ----- -------- zu --- ------ Bereite --- --- Abendbrot, -------- ---- und ----- ---- bis --- -------- und --------- ----- und ------ ------ du ----- --- trinken?

---- -- nicht -------- -- --- ------ Bereite --- --- ---------- -------- dich --- ----- ---- --- ich -------- --- --------- ----- und ------ ------ -- ----- und --------

Lukas 17,8


9

Lukas 17,9

Dankt er wohl jenem Knecht, dass er getan hat, was ihm befohlen war? Ich meine nicht!

----- er ---- ----- Knecht, ---- -- getan ---- --- ihm -------- ---- Ich ----- ------

----- -- wohl ----- ------- ---- -- getan ---- --- --- -------- war? --- ----- ------

Lukas 17,9


10

Lukas 17,10

So sollt auch ihr, wenn ihr alles getan habt, was euch befohlen war, sprechen: Wir sind unnütze Knechte; wir haben getan, was wir zu tun schuldig waren!

-- sollt ---- ---- wenn --- ----- getan ----- --- euch -------- ---- sprechen: --- ---- unnütze -------- --- haben ------ --- wir -- --- schuldig ------

-- ----- auch ---- ---- --- ----- getan ----- --- ---- -------- war, --------- --- ---- -------- Knechte; --- ----- ------ --- wir -- --- -------- ------

Lukas 17,10


11

Lukas 17,11

Und es geschah, als er nach Jerusalem reiste, dass er durch das Grenzgebiet zwischen Samaria und Galiläa zog.

--- es -------- --- er ---- --------- reiste, ---- -- durch --- ----------- zwischen ------- --- Galiläa ----

--- -- geschah, --- -- ---- --------- reiste, ---- -- ----- --- Grenzgebiet -------- ------- --- -------- zog.

Lukas 17,11


12

Lukas 17,12

Und bei seiner Ankunft in einem Dorf begegneten ihm zehn aussätzige Männer, die von ferne stehen blieben.

--- bei ------ ------- in ----- ---- begegneten --- ---- aussätzige -------- --- von ----- ------ blieben.

--- --- seiner ------- -- ----- ---- begegneten --- ---- ----------- -------- die --- ----- ------ --------

Lukas 17,12


13

Lukas 17,13

Und sie erhoben ihre Stimme und sprachen: Jesus, Meister, erbarme dich über uns!

--- sie ------- ---- Stimme --- --------- Jesus, -------- ------- dich ----- ----

--- --- erhoben ---- ------ --- --------- Jesus, -------- ------- ---- ----- uns!

Lukas 17,13


14

Lukas 17,14

Und als er sie sah, sprach er zu ihnen: Geht hin und zeigt euch den Priestern! Und es geschah, während sie hingingen, wurden sie rein.

--- als -- --- sah, ------ -- zu ------ ---- hin --- ----- euch --- ---------- Und -- -------- während --- ---------- wurden --- -----

--- --- er --- ---- ------ -- zu ------ ---- --- --- zeigt ---- --- ---------- --- es -------- -------- --- ---------- wurden --- -----

Lukas 17,14


15

Lukas 17,15

Einer aber von ihnen kehrte wieder um, als er sah, dass er geheilt worden war, und pries Gott mit lauter Stimme,

----- aber --- ----- kehrte ------ --- als -- ---- dass -- ------- worden ---- --- pries ---- --- lauter -------

----- ---- von ----- ------ ------ --- als -- ---- ---- -- geheilt ------ ---- --- ----- Gott --- ------ -------

Lukas 17,15


16

Lukas 17,16

warf sich auf sein Angesicht zu [Jesu] Füßen und dankte ihm; und das war ein Samariter.

---- sich --- ---- Angesicht -- ------ Füßen --- ------ ihm; --- --- war --- ----------

---- ---- auf ---- --------- -- ------ Füßen --- ------ ---- --- das --- --- ----------

Lukas 17,16


17

Lukas 17,17

Da antwortete Jesus und sprach: Sind nicht zehn rein geworden? Wo sind aber die neun?

-- antwortete ----- --- sprach: ---- ----- zehn ---- --------- Wo ---- ---- die -----

-- ---------- Jesus --- ------- ---- ----- zehn ---- --------- -- ---- aber --- -----

Lukas 17,17


18

Lukas 17,18

Hat sich sonst keiner gefunden, der umgekehrt wäre, um Gott die Ehre zu geben, als nur dieser Fremdling?

--- sich ----- ------ gefunden, --- --------- wäre, -- ---- die ---- -- geben, --- --- dieser ----------

--- ---- sonst ------ --------- --- --------- wäre, -- ---- --- ---- zu ------ --- --- ------ Fremdling?

Lukas 17,18


19

Lukas 17,19

Und er sprach zu ihm: Steh auf und geh hin; dein Glaube hat dich gerettet!

--- er ------ -- ihm: ---- --- und --- ---- dein ------ --- dich ---------

--- -- sprach -- ---- ---- --- und --- ---- ---- ------ hat ---- ---------

Lukas 17,19


20

Lukas 17,20

Als er aber von den Pharisäern gefragt wurde, wann das Reich Gottes komme, antwortete er ihnen und sprach: Das Reich Gottes kommt nicht so, dass man es beobachten könnte.

--- er ---- --- den ----------- ------- wurde, ---- --- Reich ------ ------ antwortete -- ----- und ------- --- Reich ------ ----- nicht --- ---- man -- ---------- könnte.

--- -- aber --- --- ----------- ------- wurde, ---- --- ----- ------ komme, ---------- -- ----- --- sprach: --- ----- ------ ----- nicht --- ---- --- -- beobachten --------

Lukas 17,20


21

Lukas 17,21

Man wird nicht sagen: Siehe hier! oder: Siehe dort! Denn siehe, das Reich Gottes ist mitten unter euch.

--- wird ----- ------ Siehe ----- ----- Siehe ----- ---- siehe, --- ----- Gottes --- ------ unter -----

--- ---- nicht ------ ----- ----- ----- Siehe ----- ---- ------ --- Reich ------ --- ------ ----- euch.

Lukas 17,21


22

Lukas 17,22

Er sprach aber zu den Jüngern: Es werden Tage kommen, da ihr begehren werdet, einen einzigen der Tage des Menschensohnes zu sehen, und ihr werdet ihn nicht sehen.

-- sprach ---- -- den --------- -- werden ---- ------- da --- -------- werdet, ----- -------- der ---- --- Menschensohnes -- ------ und --- ------ ihn ----- ------

-- ------ aber -- --- --------- -- werden ---- ------- -- --- begehren ------- ----- -------- --- Tage --- -------------- -- ------ und --- ------ --- ----- sehen.

Lukas 17,22


23

Lukas 17,23

Und sie werden zu euch sagen: Siehe hier! oder: Siehe dort! Geht nicht hin und lauft ihnen nicht nach!

--- sie ------ -- euch ------ ----- hier! ----- ----- dort! ---- ----- hin --- ----- ihnen ----- -----

--- --- werden -- ---- ------ ----- hier! ----- ----- ----- ---- nicht --- --- ----- ----- nicht -----

Lukas 17,23


24

Lukas 17,24

Denn gleichwie der Blitz, der in einer Himmelsgegend erstrahlt, bis zur anderen leuchtet, so wird auch der Sohn des Menschen sein an seinem Tag.

---- gleichwie --- ------ der -- ----- Himmelsgegend ---------- --- zur ------- --------- so ---- ---- der ---- --- Menschen ---- -- seinem ----

---- --------- der ------ --- -- ----- Himmelsgegend ---------- --- --- ------- leuchtet, -- ---- ---- --- Sohn --- -------- ---- -- seinem ----

Lukas 17,24


25

Lukas 17,25

Zuvor aber muss er viel leiden und verworfen werden von diesem Geschlecht.

----- aber ---- -- viel ------ --- verworfen ------ --- diesem -----------

----- ---- muss -- ---- ------ --- verworfen ------ --- ------ -----------

Lukas 17,25


26

Lukas 17,26

Und wie es in den Tagen Noahs zuging, so wird es auch sein in den Tagen des Menschensohnes:

--- wie -- -- den ----- ----- zuging, -- ---- es ---- ---- in --- ----- des ---------------

--- --- es -- --- ----- ----- zuging, -- ---- -- ---- sein -- --- ----- --- Menschensohnes:

Lukas 17,26


27

Lukas 17,27

Sie aßen, sie tranken, sie heirateten und ließen sich heiraten bis zu dem Tag, als Noah in die Arche ging; und die Sintflut kam und vernichtete alle.

--- aßen, --- -------- sie ---------- --- ließen ---- -------- bis -- --- Tag, --- ---- in --- ----- ging; --- --- Sintflut --- --- vernichtete -----

--- ------ sie -------- --- ---------- --- ließen ---- -------- --- -- dem ---- --- ---- -- die ----- ----- --- --- Sintflut --- --- ----------- -----

Lukas 17,27


28

Lukas 17,28

Ebenso ging es auch in den Tagen Lots zu: Sie aßen, sie tranken, sie kauften und verkauften, sie pflanzten und bauten;

------ ging -- ---- in --- ----- Lots --- --- aßen, --- -------- sie ------- --- verkauften, --- --------- und -------

------ ---- es ---- -- --- ----- Lots --- --- ------ --- tranken, --- ------- --- ----------- sie --------- --- -------

Lukas 17,28


29

Lukas 17,29

an dem Tag aber, als Lot aus Sodom wegging, regnete es Feuer und Schwefel vom Himmel und vertilgte alle.

-- dem --- ----- als --- --- Sodom -------- ------- es ----- --- Schwefel --- ------ und --------- -----

-- --- Tag ----- --- --- --- Sodom -------- ------- -- ----- und -------- --- ------ --- vertilgte -----

Lukas 17,29


30

Lukas 17,30

Gerade so wird es sein an dem Tag, da der Sohn des Menschen geoffenbart wird.

------ so ---- -- sein -- --- Tag, -- --- Sohn --- -------- geoffenbart -----

------ -- wird -- ---- -- --- Tag, -- --- ---- --- Menschen ----------- -----

Lukas 17,30


31

Lukas 17,31

Wer an jenem Tag auf dem Dach ist und sein Gerät im Haus hat, der steige nicht hinab, um dasselbe zu holen; ebenso, wer auf dem Feld ist, der kehre nicht wieder zurück.

--- an ----- --- auf --- ---- ist --- ---- Gerät -- ---- hat, --- ------ nicht ------ -- dasselbe -- ------ ebenso, --- --- dem ---- ---- der ----- ----- wieder --------

--- -- jenem --- --- --- ---- ist --- ---- ------ -- Haus ---- --- ------ ----- hinab, -- -------- -- ------ ebenso, --- --- --- ---- ist, --- ----- ----- ------ zurück.

Lukas 17,31


32

Lukas 17,32

Gedenkt an Lots Frau!

------- an ---- -----

------- -- Lots -----

Lukas 17,32


33

Lukas 17,33

Wer sein Leben zu retten sucht, der wird es verlieren, und wer es verliert, der wird es erhalten.

--- sein ----- -- retten ------ --- wird -- ---------- und --- -- verliert, --- ---- es ---------

--- ---- Leben -- ------ ------ --- wird -- ---------- --- --- es --------- --- ---- -- erhalten.

Lukas 17,33


34

Lukas 17,34

Ich sage euch: In dieser Nacht werden zwei in einem Bett sein; der eine wird genommen und der andere zurückgelassen werden.

--- sage ----- -- dieser ----- ------ zwei -- ----- Bett ----- --- eine ---- -------- und --- ------ zurückgelassen -------

--- ---- euch: -- ------ ----- ------ zwei -- ----- ---- ----- der ---- ---- -------- --- der ------ --------------- -------

Lukas 17,34


35

Lukas 17,35

Zwei werden miteinander mahlen; die eine wird genommen, und die andere wird zurückgelassen werden.

---- werden ----------- ------- die ---- ---- genommen, --- --- andere ---- --------------- werden.

---- ------ miteinander ------- --- ---- ---- genommen, --- --- ------ ---- zurückgelassen -------

Lukas 17,35


36

Lukas 17,36

Zwei werden auf dem Feld sein; der eine wird genommen und der andere zurückgelassen werden.

---- werden --- --- Feld ----- --- eine ---- -------- und --- ------ zurückgelassen -------

---- ------ auf --- ---- ----- --- eine ---- -------- --- --- andere --------------- -------

Lukas 17,36


37

Lukas 17,37

Und sie antworteten und sprachen zu ihm: Wo, Herr? Und er sprach zu ihnen: Wo der Leichnam ist, da sammeln sich die Geier.

--- sie ----------- --- sprachen -- ---- Wo, ----- --- er ------ -- ihnen: -- --- Leichnam ---- -- sammeln ---- --- Geier.

--- --- antworteten --- -------- -- ---- Wo, ----- --- -- ------ zu ------ -- --- -------- ist, -- ------- ---- --- Geier.

Lukas 17,37