Deutsch 26-Hesekiel 017(Schl2000)

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Listen

1

Hesekiel 17,1

Und das Wort des HERRN erging an mich folgendermaßen:

--- das ---- --- HERRN ------ -- mich ----------------

--- --- Wort --- ----- ------ -- mich ----------------

Hesekiel 17,1


2

Hesekiel 17,2

Menschensohn, gib dem Haus Israel ein Rätsel auf und lege ihm ein Gleichnis vor

------------- gib --- ---- Israel --- ------- auf --- ---- ihm --- --------- vor

------------- --- dem ---- ------ --- ------- auf --- ---- --- --- Gleichnis ---

Hesekiel 17,2


3

Hesekiel 17,3

und sage: So spricht GOTT, der Herr: Ein großer Adler mit großen Flügeln und langen Fittichen voll vielfarbiger Federn kam auf den Libanon und nahm den Wipfel der Zeder hinweg.

--- sage: -- ------- GOTT, --- ----- Ein ------- ----- mit ------- -------- und ------ --------- voll ------------ ------ kam --- --- Libanon --- ---- den ------ --- Zeder -------

--- ----- So ------- ----- --- ----- Ein ------- ----- --- ------- Flügeln --- ------ --------- ---- vielfarbiger ------ --- --- --- Libanon --- ---- --- ------ der ----- -------

Hesekiel 17,3


4

Hesekiel 17,4

Und er brach den obersten ihrer Zweige ab und brachte ihn in ein Händlerland und setzte ihn in eine Stadt von Kaufleuten.

--- er ----- --- obersten ----- ------ ab --- ------- ihn -- --- Händlerland --- ------ ihn -- ---- Stadt --- -----------

--- -- brach --- -------- ----- ------ ab --- ------- --- -- ein ------------ --- ------ --- in ---- ----- --- -----------

Hesekiel 17,4


5

Hesekiel 17,5

Er nahm auch von dem Samen des Landes und pflanzte ihn auf ein Saatfeld; er brachte ihn zu reichlichen Wassern und setzte ihn wie einen Weidenbaum.

-- nahm ---- --- dem ----- --- Landes --- -------- ihn --- --- Saatfeld; -- ------- ihn -- ----------- Wassern --- ------ ihn --- ----- Weidenbaum.

-- ---- auch --- --- ----- --- Landes --- -------- --- --- ein --------- -- ------- --- zu ----------- ------- --- ------ ihn --- ----- -----------

Hesekiel 17,5


6

Hesekiel 17,6

Da wuchs er und wurde ein wuchernder Weinstock von niedrigem Wuchs; seine Ranken bogen sich zu ihm, und seine Wurzeln waren unter ihm. So wurde ein Weinstock daraus, und er trieb ö"ste und streckte Schosse aus.

-- wuchs -- --- wurde --- ---------- Weinstock --- --------- Wuchs; ----- ------ bogen ---- -- ihm, --- ----- Wurzeln ----- ----- ihm. -- ----- ein --------- ------- und -- ----- ö"ste --- -------- Schosse ----

-- ----- er --- ----- --- ---------- Weinstock --- --------- ------ ----- Ranken ----- ---- -- ---- und ----- ------- ----- ----- ihm. -- ----- --- --------- daraus, --- -- ----- ------ und -------- ------- ----

Hesekiel 17,6


7

Hesekiel 17,7

Es war aber ein anderer großer Adler, der hatte große Flügel und viele Federn. Und siehe, dieser Weinstock bog seine Wurzeln von den Beeten, worin er gepflanzt war, zu ihm hin und streckte seine Ranken gegen ihn aus, damit er ihn tränke.

-- war ---- --- anderer ------- ------ der ----- ------ Flügel --- ----- Federn. --- ------ dieser --------- --- seine ------- --- den ------- ----- er --------- ---- zu --- --- und -------- ----- Ranken ----- --- aus, ----- -- ihn --------

-- --- aber --- ------- ------- ------ der ----- ------ ------- --- viele ------- --- ------ ------ Weinstock --- ----- ------- --- den ------- ----- -- --------- war, -- --- --- --- streckte ----- ------ ----- --- aus, ----- -- --- --------

Hesekiel 17,7


8

Hesekiel 17,8

[Dabei] war er [doch] auf einem guten Boden bei vielen Wassern gepflanzt und konnte Zweige treiben und Frucht tragen und ein prächtiger Weinstock werden!

------- war -- ------ auf ----- ----- Boden --- ------ Wassern --------- --- konnte ------ ------- und ------ ------ und --- ----------- Weinstock -------

------- --- er ------ --- ----- ----- Boden --- ------ ------- --------- und ------ ------ ------- --- Frucht ------ --- --- ----------- Weinstock -------

Hesekiel 17,8


9

Hesekiel 17,9

Sage: So spricht GOTT, der Herr: Wird er geraten? Wird jener nicht seine Wurzeln ausreißen und seine Frucht abschneiden, damit er verdorrt? Alle seine grünen Triebe werden verdorren! Und es braucht dazu keinen großen Arm und nicht viel Volk, um ihn mit seinen Wurzeln herauszuheben.

----- So ------- ----- der ----- ---- er -------- ---- jener ----- ----- Wurzeln ---------- --- seine ------ ------------ damit -- --------- Alle ----- ------- Triebe ------ ---------- Und -- ------- dazu ------ ------- Arm --- ----- viel ----- -- ihn --- ------ Wurzeln --------------

----- -- spricht ----- --- ----- ---- er -------- ---- ----- ----- seine ------- ---------- --- ----- Frucht ------------ ----- -- --------- Alle ----- ------- ------ ------ verdorren! --- -- ------- ---- keinen ------- --- --- ----- viel ----- -- --- --- seinen ------- --------------

Hesekiel 17,9


10

Hesekiel 17,10

Und siehe, er ist zwar gepflanzt, sollte er aber geraten? Wird er nicht, sobald der Ostwind ihn berührt, gänzlich verdorren? Auf den Beeten, wo er aufgewachsen ist, wird er verdorren.

--- siehe, -- --- zwar ---------- ------ er ---- -------- Wird -- ------ sobald --- ------- ihn --------- --------- verdorren? --- --- Beeten, -- -- aufgewachsen ---- ---- er ----------

--- ------ er --- ---- ---------- ------ er ---- -------- ---- -- nicht, ------ --- ------- --- berührt, --------- ---------- --- --- Beeten, -- -- ------------ ---- wird -- ----------

Hesekiel 17,10


11

Hesekiel 17,11

Und das Wort des HERRN erging an mich folgendermaßen:

--- das ---- --- HERRN ------ -- mich ----------------

--- --- Wort --- ----- ------ -- mich ----------------

Hesekiel 17,11


12

Hesekiel 17,12

Sprich doch zu dem widerspenstigen Haus: Wisst ihr nicht, was das bedeutet? Sprich: Siehe, der König von Babel ist nach Jerusalem gekommen und hat dessen König und dessen Fürsten genommen und sie zu sich nach Babel gebracht.

------ doch -- --- widerspenstigen ----- ----- ihr ------ --- das --------- ------- Siehe, --- ------ von ----- --- nach --------- -------- und --- ------ König --- ------ Fürsten -------- --- sie -- ---- nach ----- ---------

------ ---- zu --- --------------- ----- ----- ihr ------ --- --- --------- Sprich: ------ --- ------ --- Babel --- ---- --------- -------- und --- ------ ------ --- dessen -------- -------- --- --- zu ---- ---- ----- ---------

Hesekiel 17,12


13

Hesekiel 17,13

Er nahm auch einen von dem königlichen Samen und schloss einen Bund mit ihm und ließ ihn einen Eid schwören; und er nahm die Mächtigen des Landes mit sich,

-- nahm ---- ----- von --- ------------ Samen --- ------- einen ---- --- ihm --- ----- ihn ----- --- schwören; --- -- nahm --- ---------- des ------ --- sich,

-- ---- auch ----- --- --- ------------ Samen --- ------- ----- ---- mit --- --- ----- --- einen --- ---------- --- -- nahm --- ---------- --- ------ mit -----

Hesekiel 17,13


14

Hesekiel 17,14

damit das Königtum gering bliebe und sich nicht erhebe, sondern seinen Bund hielte, so dass es Bestand habe.

----- das --------- ------ bliebe --- ---- nicht ------- ------- seinen ---- ------- so ---- -- Bestand -----

----- --- Königtum ------ ------ --- ---- nicht ------- ------- ------ ---- hielte, -- ---- -- ------- habe.

Hesekiel 17,14


15

Hesekiel 17,15

Er aber fiel von ihm ab und sandte seine Boten nach ö"gypten, damit man ihm Rosse und viel Volk zusendete. Wird er Gelingen haben? Wird der, welcher so etwas tat, davonkommen, und sollte er entkommen, da er den Bund gebrochen hat?

-- aber ---- --- ihm -- --- sandte ----- ----- nach ---------- ----- man --- ----- und ---- ---- zusendete. ---- -- Gelingen ------ ---- der, ------- -- etwas ---- ------------ und ------ -- entkommen, -- -- den ---- --------- hat?

-- ---- fiel --- --- -- --- sandte ----- ----- ---- ---------- damit --- --- ----- --- viel ---- ---------- ---- -- Gelingen ------ ---- ---- ------- so ----- ---- ------------ --- sollte -- ---------- -- -- den ---- --------- ----

Hesekiel 17,15


16

Hesekiel 17,16

So wahr ich lebe, spricht GOTT, der Herr: An dem Ort, wo der König wohnt, der ihn zum König machte, dessen Eid er verachtet und dessen Bund er gebrochen hat, bei ihm soll er sterben, mitten in Babel!

-- wahr --- ----- spricht ----- --- Herr: -- --- Ort, -- --- König ------ --- ihn --- ------ machte, ------ --- er --------- --- dessen ---- -- gebrochen ---- --- ihm ---- -- sterben, ------ -- Babel!

-- ---- ich ----- ------- ----- --- Herr: -- --- ---- -- der ------ ------ --- --- zum ------ ------- ------ --- er --------- --- ------ ---- er --------- ---- --- --- soll -- -------- ------ -- Babel!

Hesekiel 17,16


17

Hesekiel 17,17

Auch wird ihm der Pharao nicht mit großem Heer und zahlreichem Volk im Krieg beistehen, wenn man einen Wall aufschüttet und Belagerungstürme baut, um viele Seelen umzubringen.

---- wird --- --- Pharao ----- --- großem ---- --- zahlreichem ---- -- Krieg ---------- ---- man ----- ---- aufschüttet --- ----------------- baut, -- ----- Seelen ------------

---- ---- ihm --- ------ ----- --- großem ---- --- ----------- ---- im ----- ---------- ---- --- einen ---- ------------ --- ----------------- baut, -- ----- ------ ------------

Hesekiel 17,17


18

Hesekiel 17,18

Er hat ja den Eid verachtet und den Bund gebrochen - und siehe, er hat seine Hand darauf gegeben und doch das alles getan! -, er wird nicht entkommen.

-- hat -- --- Eid --------- --- den ---- --------- - --- ------ er --- ----- Hand ------ ------- und ---- --- alles ------ -- er ---- ----- entkommen.

-- --- ja --- --- --------- --- den ---- --------- - --- siehe, -- --- ----- ---- darauf ------- --- ---- --- alles ------ -- -- ---- nicht ----------

Hesekiel 17,18


19

Hesekiel 17,19

Darum, so spricht GOTT, der Herr: So wahr ich lebe, ich will meinen Eid, den er verachtet, und den vor mir geschlossenen Bund, den er gebrochen hat, auf seinen Kopf bringen!

------ so ------- ----- der ----- -- wahr --- ----- ich ---- ------ Eid, --- -- verachtet, --- --- vor --- ------------- Bund, --- -- gebrochen ---- --- seinen ---- --------

------ -- spricht ----- --- ----- -- wahr --- ----- --- ---- meinen ---- --- -- ---------- und --- --- --- ------------- Bund, --- -- --------- ---- auf ------ ---- --------

Hesekiel 17,19


20

Hesekiel 17,20

Ich will mein Netz über ihn ausspannen, und er soll in meinem Fanggarn gefangen werden. Ich will ihn nach Babel führen; dort will ich mit ihm ins Gericht gehen wegen des Treubruchs, den er an mir begangen hat.

--- will ---- ---- über --- ----------- und -- ---- in ------ -------- gefangen ------- --- will --- ---- Babel -------- ---- will --- --- ihm --- ------- gehen ----- --- Treubruchs, --- -- an --- -------- hat.

--- ---- mein ---- ----- --- ----------- und -- ---- -- ------ Fanggarn -------- ------- --- ---- ihn ---- ----- -------- ---- will --- --- --- --- Gericht ----- ----- --- ----------- den -- -- --- -------- hat.

Hesekiel 17,20


21

Hesekiel 17,21

Aber alle seine Flüchtlinge in allen seinen Truppen sollen durchs Schwert fallen, und die übrig Gebliebenen sollen in alle Winde zerstreut werden; so werdet ihr erkennen, dass ich, der HERR, geredet habe.

---- alle ----- ------------ in ----- ------ Truppen ------ ------ Schwert ------- --- die ------ ----------- sollen -- ---- Winde --------- ------- so ------ --- erkennen, ---- ---- der ----- ------- habe.

---- ---- seine ------------ -- ----- ------ Truppen ------ ------ ------- ------- und --- ------ ----------- ------ in ---- ----- --------- ------- so ------ --- --------- ---- ich, --- ----- ------- -----

Hesekiel 17,21


22

Hesekiel 17,22

So spricht GOTT, der Herr: Ich will auch [einen Schössling] vom Wipfel des hohen Zedernbaumes nehmen und will ihn einsetzen. Von dem obersten seiner Schösslinge will ich ein zartes Reis abbrechen und will es auf einem hohen und erhabenen Berg pflanzen;

-- spricht ----- --- Herr: --- ---- auch ------ ------------ vom ------ --- hohen ------------ ------ und ---- --- einsetzen. --- --- obersten ------ ------------ will --- --- zartes ---- --------- und ---- -- auf ----- ----- und --------- ---- pflanzen;

-- ------- GOTT, --- ----- --- ---- auch ------ ------------ --- ------ des ----- ------------ ------ --- will --- ---------- --- --- obersten ------ ------------ ---- --- ein ------ ---- --------- --- will -- --- ----- ----- und --------- ---- ---------

Hesekiel 17,22


23

Hesekiel 17,23

auf dem hohen Berg Israels will ich es pflanzen, damit es Zweige treibe und Früchte bringe und zu einem prächtigen Zedernbaum werde, dass allerlei Vögel und allerlei Geflügel unter ihm wohnen und unter dem Schatten seiner ö"ste bleiben können;

--- dem ----- ---- Israels ---- --- es --------- ----- es ------ ------ und -------- ------ und -- ----- prächtigen ---------- ------ dass -------- ------ und -------- --------- unter --- ------ und ----- --- Schatten ------ ------ bleiben --------

--- --- hohen ---- ------- ---- --- es --------- ----- -- ------ treibe --- -------- ------ --- zu ----- ----------- ---------- ------ dass -------- ------ --- -------- Geflügel ----- --- ------ --- unter --- -------- ------ ------ bleiben --------

Hesekiel 17,23


24

Hesekiel 17,24

und alle Bäume des Feldes sollen erkennen, dass ich, der HERR, den hohen Baum erniedrigt und den niedrigen Baum erhöht habe; dass ich den grünen Baum verdorren ließ und den dürren Baum zum Grünen brachte. Ich, der HERR, habe es gesagt und werde es auch ausführen.

--- alle ------ --- Feldes ------ --------- dass ---- --- HERR, --- ----- Baum ---------- --- den --------- ---- erhöht ----- ---- ich --- ------- Baum --------- ----- und --- ------- Baum --- ------- brachte. ---- --- HERR, ---- -- gesagt --- ----- es ---- -----------

--- ---- Bäume --- ------ ------ --------- dass ---- --- ----- --- hohen ---- ---------- --- --- niedrigen ---- ------- ----- ---- ich --- ------- ---- --------- ließ --- --- ------- ---- zum ------- -------- ---- --- HERR, ---- -- ------ --- werde -- ---- -----------

Hesekiel 17,24